शनिवार, 26 जनवरी 2019

कौन है हम ??

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कौन है हम ?? प्रस्तावना 
कौन है हम ?? वस्तुतःहो सकता है कि ये सवाल हम में से कई लोगो के लिए मायने नहीं रखता हो लेकिन यदि हम बात अधिकारों ,दायित्वों , परम्पराओं और जीवन शैलियों की करे जिनको लेकर वर्तमान में विभिन्न प्रकार के मत और विचारधाराएं मौजूद है तो फिर हमारे लिए अपने अतीत और अपने वजूद के कारणों को जानना आवश्यक हो जाता है | अतीत और अपने वजूद को जानने पहचानने का सबसे बड़ा स्रोत है इतिहास |
यूँ तो इतिहास पर भी कई प्रकार के दोषारोपण किये जाते रहे है और इसे लेकर विभिन्न लोगो में विभिन्न प्रकार के मत है और इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है कि इतिहास विजेताओं का ही लिखा गया क्योंकि लिखवाने की शक्तियां तो उन्ही के पास थी ,पराजितों का इतिहास उनके योगदान के बावजूद भी सामने लाने का प्रयास नहीं किया गया | इतिहास पर दोषारोपण को इस रूप में भी देखा जा सकता है कि प्राचीन काल से ही विदूषकों या भाटों द्वारा तमाम विषमताओं के बावजूद शासको अर्थात अपने आकाओ का गुणगान करना ही श्रेयस्कर समझा भले ही उस शासक का कार्य कितना भी ख़राब क्यों नहीं रहा हो क्योंकि इस गुणगान के बदले उन्हें उपहार स्वरुप बहुत कुछ मिल जाया करता था | लेकिन ये भी स्थापित तथ्य है कि इस प्रकार रचित इतिहास को वास्तविक इतिहास की संज्ञा कभी नहीं दी गई | वास्तविक इतिहास उसे ही कहा गया जिसमे वर्णित तथ्यों को पुरातत्व द्वारा खोजे गए या अन्य उपलब्ध प्रमाणों से साबित किया गया | कौन है हम ?? इस ऐतिहासिक श्रंखला का जन्म वस्तुतः अपने अतीत और अपने वजूद को सही अर्थो में जानने की अतीत की यात्रा के गर्भ से हुआ ,इस यात्रा में इतिहास के यत्र तत्र बिखरे पड़े अनगिनत पन्नो को क्रमबद्ध कर साथ ही वास्तविक अर्थो ने प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है |
कौन है हम ?? भाग -1  
चलिए अब मूल विषय पर आते है और अपने आपको जानने पहचानने की कोशिश करते है | पृथ्वी लगभग 4 अरब 60 करोड़ वर्ष पूर्व अस्तित्व में आयी और इसकी परतो का विकास चार अवस्थाओं में सामने आया ,चौथी अवस्था चतुर्थिकी कहलाती है जिसके होलोसीन और प्लाइस्टोसीन दो भाग है  ,प्लाइस्टोसीन का काल 20 लाख वर्ष से 12 हजार वर्ष पूर्व तक तथा होलोसीन का 12 हजार वर्ष पूर्व से वर्तमान तक आता है | पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति लगभग 3 अरब 50 करोड़ वर्ष पूर्व हो चुकी थी जो वनस्पतियो तथा जीवजन्तुओ में सिमित थी और इसके बाद के करोडो वर्षो तक रही | लगभग 3 करोड़ वर्ष पूर्व आदिमानव जो बंदरो की तरह थे अस्तित्व में आये ,पृथ्वी पर सर्वप्रथम मानव की उत्पत्ति अस्ट्रालापिथेकस अर्थात होमिनिड के रूप में पूर्व प्लाइस्टोसिन काल और प्लाइस्टोसीन काल के प्रारम्भ में हुयी जो 55 लाख से 15 लाख वर्ष पूर्व का काल था | ये दो पेरो और उभरे पेट वाला था लेकिन इसका मस्तिष्क केवल 400 सीसी का ही था इसे प्रोटो मानव और आद्य मानव भी कहा गया ,इसमें मानव और वानर दोनों के लक्षण विद्यमान थे | 20 लाख से 15 लाख वर्ष पूर्व दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका में होमो हेविलिस का प्रादुर्भाव हुआ जिसे प्रथम मानव कहा गया | इसने पत्थरो को तोड़कर और तराशकर उनका इस्तेमाल किया ,जहां भी इसके अवशेष मिले है वहां टूटे हुए पत्थरो के टुकड़े अवश्य मिले है | 18 से 16 लाख वर्ष पूर्व के आसपास होमो इरेक्टस अर्थात सीधे मानव का प्रादुर्भाव हुआ | पत्थर के हस्तकुठार के निर्माण और अग्नि के अविष्कार का श्रेय इसे ही है | होमो हेवीलिस के विपरीत इसने दूर दराज के क्षेत्रो की यात्राएं की जिसकी पुष्टि इसके अफ्रीका के अतिरिक्त चीन ,दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में मिले अवशेषों से होती है | जैविक विकास के अगले क्रम में होमो सेपियन्स सामने आता है जिससे आधुनिक मानव अस्तित्व में आया | इसका काल निर्धारण 2. 30 लाख वर्ष से 30 हजार वर्ष पूर्व निर्धारित किया गया है | इसका शरीर छोटा और माथा संकरा था लेकिन इसके मस्तिष्क का आकार बहुत बड़ा ( 1200 -1800 सीसी ) था | हम अर्थात आधुनिक मानव अर्थात होमो सेपियंस सेपियंस इसी से जैविक विकास क्रम की अभी तक जानी गयी अंतिम कड़ी के रूप में अस्तित्व में आये | होमो सेपियंस सेपियंस 1. 15 लाख वर्ष पूर्व ऊपरी पुरापाषाण काल में दक्षिणी अफ्रीका में प्रकट हुआ | इसका ललाट बड़ा और हड्डियां पतली थी तथा मस्तिष्क पूर्व के रूपों की तुलना में बहुत बड़ा ( लगभग 1200 से 2000 सीसी ) था इसीलिए ये अधिक बुद्धिमान था और इसमें परिवेश को बदलने और उसके अनुरूप निर्णय लेने की क्षमता थी | ये बोलना जानता था अथवा नहीं निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता क्योंकि विभिन्न अन्वेषणों के आधार पर भाषा के जन्म का समय 50 हजार वर्ष पूर्व का ही निर्धारित किया गया है |   
                    पृथ्वी के विकास क्रम में लगभग 4 करोड़ वर्ष पूर्व स्वतंत्र भौगोलिक इकाई के रूप में भारतीय उपमहाद्वीप का आविर्भाव हुआ | प्रायद्वीपीय भारतीय भौगोलिक क्षेत्र अंटार्कटिका ,अफ्रीका ,अरब और दक्षिणी अमेरिका के साथ दक्षिणी वृहत महादेश का हिस्सा था जिसे गोवनालेंड कहा जाता है | पूर्व में गोवनालेंड उत्तरी वृहत महादेश लारेशिया के साथ मिला हुआ था | उत्तरी महादेश में ग्रीनलैंड ,यूरोप और हिमालय के उत्तर भाग में स्थित क्षेत्र शामिल थे | बाद में गोवनालेंड और लारेशिया पृथक इकाइयां बन गए | पृथ्वी की विवर्तनिक गतिविधियों के कारण 22 करोड़ 50 लाख वर्ष पूर्व गोवनालेंड का बिखराव शुरू हुआ जिसके चलते अन्य इकाइयों के साथ भारतीय उपमहादेश भी अस्तित्व में आया ये समय 5 करोड़ 80 लाख वर्ष से 3 करोड़ 70 लाख वर्ष के मध्य का कहा जा सकता है | शुरू में भारतीय उपमहादेश ने यूरेशियाई महादेश की और बढ़ने का प्रयास किया और यही कारण था कि हिमालय की वर्तमान भौगोलिक स्थिति उस काल से भिन्न थी | प्राचीन भौगोलिक आंकड़ों के अनुसार हिमालय को अपनी पूर्ण ऊंचाई प्लाइस्टोसीन काल में मिली |  सिंधु और गंगा नदियों के मैदानी क्षेत्रो के निर्माण में हिमालय ने मुख्य भूमिका निभाई | भारतीय उपमहादेश का कुल क्षेत्रफल 4 ,202 ,500 वर्ग किलोमीटर है और ये उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र कहा जाता है  जिसमे भारत ,पाकिस्तान ,बांग्लादेश ,नेपाल और भूटान शामिल है | भारतीय उपमहाद्वीप में शिवालिक पहाड़ी इलाके में पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के अंतर्गत पोतवार पठार में मानव खोपडिया के अत्यंत प्राचीन जीवाश्म मिले है | इन्हे रामा पिथेकस और शिवा पिथेकस कहा गया | रामा पिथेकस स्त्री खोपड़ी है इनमे होमिनिड की विशेषताएं तो है लेकिन ये वानरों का ही प्रतिनिधित्व करते है | इसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाला एक अन्य जीवाश्म यूनान में पाया गया जिसे लगभग 1 करोड़ वर्ष पुराना माना गया है | लेकिन इसके अतिरिक्त इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिला जो ये स्थापित कर सके कि इसी जाति का प्रसारण भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ हो | 1982 में नर्वदा घाटी अंतर्गत हथनोरा से होमिनिड की सम्पूर्ण खोपड़ी प्राप्त हुई जो आद्य होमो सेपियंस की है | अब तक भारतीय उपमहादेश में होमो सेपियंस के अवशेष कही नहीं मिले है |  श्रीलंका में होमो सेपियंस सेपियंस अर्थात आधुनिक मानव के लगभग 34 हजार वर्ष पुराने जीवाश्म मिले है ,ये काल होलोसीन अवस्था के शिकारी और खाद्य संग्राहक जीवन अवस्था का है |ऐसा कहा जा सकता है कि आधुनिक मानव अफ्रीका से समुद्रतट के सहारे होता हुआ दक्षिणी भारत में पहुंचा ये घटना लगभग 35 हजार वर्ष पूर्व की मानी जाती है | 
जारी है अतीत का ये सफर ----
महेंद्र जैन 
27 जनवरी 2019